पत्रकारों की आवाज अब दवेगी नहीं, उत्तराखंड पत्रकार यूनियन ने भरी हुंकार।
सुनील उनियाल/
देहरादून।
उत्तराखंड पत्रकार यूनियन ने राज्यभर के पत्रकारों के सम्मान, अधिकार और अस्तित्व की रक्षा के लिए निर्णायक लड़ाई छेड़ने का ऐलान किया है। यूनियन ने स्पष्ट कहा है कि अब पत्रकारों की आवाज़ को अनसुना नहीं किया जाएगा, चाहे वो छोटे-मझोले अखबार हों या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जनहित की बात कहने वाले साथी।
प्रदेश अध्यक्ष आशीष कुमार ध्यानी ने कहा कि
“पत्रकारिता कोई अपराध नहीं है, यह लोकतंत्र की आत्मा है। लेकिन दुख की बात है कि आज सच्चे पत्रकारों को दरकिनार किया जा रहा है, छोटे समाचार पत्रों को दोयम दर्जे का समझा जा रहा है और सोशल मीडिया के माध्यम से जनसेवा करने वाले साथियों को हाशिये पर धकेला जा रहा है। यह अन्याय अब और नहीं चलेगा।”
उन्होंने बताया कि इसी अन्याय के खिलाफ उत्तराखंड पत्रकार यूनियन सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी का घेराव करेगी। आंदोलन का उद्देश्य टकराव या व्यक्ति विशेष का विरोध नहीं, बल्कि संवाद के माध्यम से सच्चे पत्रकारों की आवाज़ शासन तक पहुँचाना है।
यूनियन के महासचिव हरीश जोशी ने कहा कि
“पत्रकारों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। जिन्होंने बरसों तक जनहित के लिए अपनी कलम और कैमरा समर्पित किया, आज वही साथी उपेक्षा झेल रहे हैं। यूनियन अब उनके साथ खड़ी है, एकजुट, अडिग और निर्णायक रूप से।”
उन्होंने बताया कि राज्य की सभी जनपद इकाइयों को तैयार रहने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। प्रत्येक जिले से कम से कम 10-10 साथी देहरादून पहुंचेंगे। यह आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, लेकिन प्रभावी इतना कि शासन-प्रशासन को पत्रकारों की मजबूरी नहीं, उनकी मजबूती दिखे।
यूनियन ने साफ कहा है कि यदि छोटे और मझोले समाचार पत्रों तथा सोशल मीडिया पत्रकारों के अधिकारों की अनदेखी जारी रही, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी जनआंदोलन का रूप लेगा।
संपादक: सुनील उनियाल
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