सार्थक बिगुल

पर्वतीय क्रांति की आवाज

उत्तराखंड बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने जोरदार नारेबाजी के बाद मिष्ठान वितरित किया।

सुनील उनियाल/

मसूरी / उत्तराखंड  बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने शहीद भगत सिंह चौक पर पहाड़ियों पर अभद्र टिप्पणी करने वाले प्रदेश के काबीना मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा देने पर जोरदार नारेबाजी के बीच मिष्ठान वितरित किया व कहा कि अभी आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है, अभी प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भटट, काबीना मंत्री सुबोध उनियाल के खिलाफ भी कार्रवाई होने तक आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है।
शहीद भगत सिंह चौक पर राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले एकत्र हुए व प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की व प्रदेश के काबीना मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के इस्तीफ देने पर मिष्ठान वितरित किया व अन्य जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की। इस मौके पर समिति के संयोजक प्रदीप भंडारी ने कहा कि राज्य आंदोलन के पच्चीस साल बाद भी राज्य को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है यहां के जनप्रतिनिधि पहाड़ के लोगों को गाली देते है व विधानसभा में  सभी मौन होकर तमाशा देखते है, जिस पर पूरे उत्तराखंड में उबाल आया व अब  प्रदेश के काबीना मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा जो उत्तराखंड में रहने वाले हर उत्तराखंडी की जीत है, यहां रहने वाले हर वर्ग की जीत है व सभी जनप्रतिनिधियों के लिए सबक है कि जनता के बीच किस तरह का बर्ताव करना चाहिए। उन्होंने गैर उत्तराखंडी विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी, अपने को बिहारी बोलने वाले काबीना मंत्री सुबोध उनियाल व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटट को भी इस्तीफा देना चाहिए। जब तक इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच नहीं हुई व प्रदेश में भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हुआ तब तक लड़ाई जारी रहेगी। इस मौके पर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष देवी गोदियाल ने कहा कि भाजपा की सरकार में मंत्रियों की बेलगाम जुबान से जनता में आक्रोश है, सुबोध उनियाल अपने को बिहारी कहते हैे, जो कि जिम्मेदार बयान नहीं था, वही रितु खंडूरी ने विधान सभा में जो धमकाने का कार्य किया, प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटट भी इसी राह पर चल रहे हैं ऐसे नेताओं को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। जिस राज्य की जनता ने इन्हें बनाया वह उन्हीं के खिलाफ बोल रहे हैं इसे बर्दास्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड सरकार न ही भू कानून को कठोर बना पायी, वहीं मूल निवास को समाप्त किया गया, भाषा के विवाद पर लोगों को लडा़ना जबकि राज्य में रहने वाले सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई राज्य के निवासी है, इससे राज्य को नुकसान हो रहा है, जल ,जंगल ,जमीन को सुरक्षित करने को लेकर आंदोलन जारी है, एक मंत्री इस्तीफा देने से मामला हल नहीं हुआ, यह राज्य की भावनाओं को समाप्त करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं, जिससे हर उत्तराखंडी में आक्रोश है। इस मौके पर नारेबाजी कर रितु खडूरी, सुबोध उनियाल, महेंद्र भटट के इस्तीफे की मांग की गई। इस मौके पर देवी गोदियाल, आरपी बडोनी, पूरण जुयाल, संजय टम्टा, मुलायम सिह, कमलेश भंडारी, खुर्शीद अहमद, प्रेम सिंह रावत, राजेंद्र सिंह कंडारी , सुनील उनियाल आदि मौजूद रहे।

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संपादक: सुनील उनियाल

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