विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने उत्तराखंड कला जगत के हास्य सम्राट घनानंद को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
सुनील उनियाल/ मसूरी- विभिन्न सामाजिक संस्थानों ने उत्तराखण्ड कला जगत के हास्य सम्राट घनानन्द घन्ना को भावभीनी श्रद्वांजिल अर्पित की तथा उनके असामयिक निधन को उत्तराखण्ड की भाषा बोली एवं संस्कृति के लिए अपूरर्णीय क्षति बताया ।
इस अवसर पर आयोजन के संयोजक एवं फिल्म निर्देशक प्रदीप भण्डारी ने कहा कि श्री घन्ना ने विषम परस्थितियों में हास्य के जरिए उत्तराखण्डी संस्कृति को देश दुनिया के सम्मुख पंहुचाया । एक समय था जब चोटि के लोक गायकों को भी आयोजकों की ओर से प्रोगाम सिर्फ इस शर्त पर मिलते थे कि उनके साथ मंच पर घन्ना भाई होंगे । गायकों को भी भीड़ जुटाने के लिए श्री घन्ना का सहारा लेना पड़ता था । उनकी कामेडी की अलग अदा, संवाद अदायगी और गजब टाईमिंग ने हर किसी का दिल जीता । उनकी हर अदा में हास्य होता था। वे अपने श्राोताओं के बीच इतना लोकप्रिय थे कि जैसे ही मंच संचालक उनके नाम की घोषणा करता था पंडाल में जोश का नशा छा जाता था, लोग झूम उठते थे । मंच पर पंहुचते ही उनके आने का अंदाज ही कुछ इस कदर होता था कि उनके कुछ बोले बिना ही लोग हंस पड़ते थे, उनके चेहरे पर ही हास्य का बड़ा तेज था। देश विदेश में उनके करोड़ों चाहने वाले हैं । अभी उनकी उम्र 72 वर्ष थी और वे पूर्ण रूप से तंदरूस्त थे मगर असामयिक उनके निधन से लोग बहुत गमगीन हैं।
मूल रूप से पौड़ी के गगोड़ गांव में 1953 में जन्में श्री घन्ना ने देशभर में हजारों मंच प्रस्तुतियां दी हैं। इसके अलावा उन्होंने आधा दर्जन से अधिक फिल्मों में भी लोगों को खूब हंसाया है । उनकी प्रमुख फिल्मों में घरजवैं, चक्रचाल, ब्वारी होत यनि, सतमंग्लया, घन्नाभाई एमबीबीएस आदि प्रमुख हैं । उन्होंने अनेकों एलबम गीतों में भी अभिनय किया । लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के विवादित गीत नौछमी नारेणा के सीक्वल गीत ‘नेगी दा यना गीत न गा’ में उनके साहस एवं शानदार अभिनय की खूब चर्चा हुई । श्री घन्ना का मसूरी से भी विशेष लगाव रहा है । मसूरी शरदोत्सव एवं पर्वतीय बिगुल सम्मान समारोह में कम से कम दो दशक तक वे लगातार मसूरी में मंचीय प्रस्तुति देते रहे हैं । वर्ष 2008 में मसूरी की प्रतिष्ठित संस्था पर्वतीय बिगुल ने उन्हें ‘गढ़ गौरव’ सम्मान से सम्मानित किया था । उत्तराखण्ड के कला जगत में श्री घन्ना का स्थान कोई नहीं ले सकता मगर संस्कृति के क्षेत्र में अपने किए कार्यों से वे सदैव जिंदा रहेंगे ।
इस अवसर पर उत्तराखंडी संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र रावत, अनिल गोदियाल, पूरण रावत, उज्ज्वल नेगी, पूरण जुयाल, देवी गोदियाल, देवेन्द्र उनियाल, कमलेश भण्डारी समेत अनेक सामाजिक संस्थानों ने उत्तराखण्ड कला जगत के हास्य सम्राट घनानन्द घन्ना को भावभीनी श्रद्वांजिल अर्पित की तथा उनके असामयिक निधन को उत्तराखण्ड की भाषा बोली एवं संस्कृति के लिए अपूरर्णीय क्षति बताया ।
संपादक: सुनील उनियाल
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