युवा लेखक सर्वेश बलिया की पुस्तक “मसूरी डेज” पर चर्चा की व पुस्तक के अंश पढ़े गए।
सुनील उनियाल/
मसूरी। मसूरी के नवोदित लेखक सर्वेश वालिया की हाल में मसूरी पर लिखी पुस्तक पर मसूरी हेरिटेज सेंटर ने लंढौर लेक्चर सीरीज के तहत पुस्तक रीडिंग व बातचीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें लेखक ने पुस्तक के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
लंढौर में आयोजित पुस्तक रीडिंग व बातचीत कार्यक्रम में पुस्तक पर चर्चा का 81वां संस्करण आयोजित किया गया जिसमें सर्वेश वाहिया द्वारा लिखी गई पुस्तक मसूरी डेज पर चर्चा की गई। लेखक सर्वेश ने बताया कि इस पुस्तक में मसूरी की रोजमर्रा के जीवन को लेकर लिखा गया है जिसमें मसूरी के लोगों की भावनाओं व इमोसंस को लेकर बात की व इसे पुस्तक में लिखा व मसूरी के बदलते परिवेश पर जो दुःख व्यक्त किया उसको लिखा, जिसमें मसूरी में लगातार कट रहे पेंडों, भीड़ बढ गयी है, जिसके कारण मसूरी का पूरा वातावरण दूषित हो गया है, इन सारी बातों को इसमें लिखा गया है। उन्होंने कहा कि पुस्तक लिखने की प्रेरणा उनके दोस्तों ने दी व मसूरी का निवासी होने के नाते बचपन से मसूरी के बदलते स्वरूप को देखा। विश्व विद्यालय से पढाई पूरी करके मसूरी लौटा तब नई दोस्ती हुई व उन्होंने मसूरी के बिगड़ते स्वरूप पर चिंता व्यक्त की व लेखन को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि बचपन से उन्हें लिखने का शौक रहा है। मसूरी में अब बर्फ नहीं पड़ती लोग उदास रहते है, नये निर्माण बहुत हो गये है। जबकि मै जंगल में जाना पसंद करता हू वहां भी अब वह पक्षी व जंगली जानवर भी नहीं दिखतें जो बुरा लगता है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक को 2019 में शुरू किया जो 2923 में पूरी हुई। उन्होंने संदेश दिया कि मसूरी को विकास के साथ बचाने का प्रयास करें। इस मौके पर मसूरी हेरिटेज सेंटर की सुरभि अग्रवाल ने लेखक से कई सवाल किए व पुस्तक के हर पहलू पर जानकारी ली। सुरभि ने बताया कि सर्वेश ने जो पुस्तक लिखी है वह बहुत ही सराहनीय है, उनके लिखने का तरीका एकदम अलग व आकर्षित करता है। उन्हांेने कहा कि हमारी इस जेनरेशन ने वह नहीं देखा जो हमारे बडो ने देखा है। लेखक ने बहुत ही सुंदर तरीके से लिखा है जिसमें मसूरी के जीवन से जुड़ी धारणाओं को लिखा व साथ ही इसमें कविताओं को भी स्थान दिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने मसूरी के पेड़ों व शहर की दशा को दर्शाने का प्रयास किया लेकिन जो धारणा मसूरी को सपनों वाला शहर माना जाता है उससे अलग लिखा। उनके लिखने का तरीका बिल्कुल अलग है उन्होंने प्रकृति प्रेमियों, कविता प्रेमियों को आकर्षित करने का प्रयास किया। यहां के पेड़ों चिडियाओं, व जनजीवन के बारे में लिखा। पुस्तक की समीक्षा लेखक बिल एटकिन ने लिखी जो किसी पुस्तक के लिए नहीं लिखते वहीं पुस्तक के अंतिम पेज पर लेखक स्टीफन आल्टर ने भी लिखा है, युवा लेखक होने पर उन्होंने मसूरी के बारे में अपना व्यू लिखा, उन्होंने मसूरी में नये लेखकों का आहवान किया कि वे मसूरी के बारे में जरूर लिखे लेकिन प्रामाणिक लिखे आज मसूरी जैसा भी है हमें प्यारा है। इस मौके पर आशीष शर्मा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
संपादक: सुनील उनियाल
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